Monday, 28 November 2022

आँसू कविता का सारांश

आँसू कविता
 आँसू कविता का सारांश
(१) प्रस्तावना :- 

          हिंदी काव्य साहित्य में महादेवी वर्मा आँसू, पीड़ा, वेदना, खालीपन, सूनापन, दु:ख, दर्द, रहस्यवाद एवं अलौकिक प्रियतम की सौंदर्य चेतना की उन्मुक्त गायिका है | जिन्होंने जीवन को खर्च करके कविता की बैरी बोयी है | वे सांसारिक जीवन की पीड़ा देने वाली वस्तु में भी जीवन शक्ति का स्रोत खोज निकालने में समर्थ है | जीवन के अनगिनत ऐसे पहलू है जिस पर उन्होंने हदय की अनुभूति को व्यक्त की है | इसलिए पीड़ा की देवी के रूप में हिंदी काव्य साहित्य में अमर हो गयी है तथा भाव सौंदर्य व्यक्त करने के लिए मधुर कोमलकांत पदावली का प्रयोग करते है | जिससे कोई भी व्यक्ति उनकी कविता के साथ अपनत्व स्थापित कर लेता है | आँसू काव्य इनका उत्तम उदाहरण है | आँसू कविता में कवयित्री ने अपने निजी जीवन के इतिहास को गीत के रूप में संगीत बद्ध किया है तथा अविनाशी संदेश  दिया है | वसंत ऋतु के चित्रण सारगर्भित जीवन की नि:सार जीवन सत्य को अंकित करते हैं | कविता के अंत में प्रियतम अतिथि से प्रश्न करते हैं कि मेरे जीवन मूल्यवान निधि आँसू है, क्या तुम अपने साथ आँसू ले जाओंगे ? अतः यह कविता का भाव सौंदर्य संक्षिप्त होते हुए भी बहुत ही ह्रदय-मन को आकर्षित करने वाला है | 


(३) आँसू कविता का सारांश :-

       आँसू कविता के केन्द्रीय भाव को स्पष्ट करने वाली विशेषताएँ निम्न रूप में पायी जाती हैं |


१. विस्मृत संसार का संगीत :-

          आँसू कविता की शुरुआत में कवयित्री ने अपने जीवन के लिखे इतिहास को भावनात्मक स्वरूप में व्यक्त किया है | अपने ह्रदय के भीतर से जो संगीत दूर चला गया है | विस्मृत हो चुका है | यही इन पंक्तियों का मुख्य सार है | वह संगीत हदय के भीतर से खो चुका है | मुझे बारी-बारी से इस संगीत की कमी महसूस होती है | जिसकी झंकार और झनझनाहट मेरे भीतर आज भी ध्वनित हैं | वह ध्वनि मैं सुन नहीं पाती | येसा विशिष्ट संगीत विस्मृत हो चुका है | मुझे सुने ध्वनि रहित संसार में छोड़कर चला गया है | यही आँसू मेरे पास बचा है | इसके अलावा कुछ भी नहीं है, लेकिन यह विशुद्ध संगीत यहीं पर है | जिसको मैं खो चुकी हूँ | मेरे भीतर ही वह मधुर झंकार सुना रहा हैं और झंकार को महसूस करती हूँ | 


“यहीं है वह विस्मृत संगीत 

खो गयी है जिसकी झंकार,

यहीं सोते हैं वे उच्छवास

जहाँ रोता बीता संसार |”


          उक्त पंक्तियों में महादेवी वर्मा ने अपने बीते जीवन को पीड़ित करने वाली ह्रदय की दर्द भरी कहानी को हमारे सामने खोल कर रख दी है | जिस संसार को इन्होंने दुःख और रोते बीताया है | वही संसार उसके जीवन से दूर हटने का नाम नहीं ले रहा है | उसके भीतर ही भीतर आँसू की बारिश हो रही है | जिसके कारण ह्रदय से ठंडी साँसे निकलती है | जीवन की कठिन एवं दर्दनाक परिस्थितियों का कभी सुनापन हटता नहीं | ईश्वर का अनन्यतम सृजन जीवन भी उसे आज कष्ट पहूँचा रहा है | जिस जिन्दगी को बीता चुकी है, फिरभी जीवन से पीड़ा विश्राम लेने का नाम नहीं ले रही है | इसलिए कवयित्री के आँसू निरंतर बहते रहते हैं | यही हदय की भीतरी पीड़ा पल-पल और क्षण-क्षण उसे कुरेद रही हैं | आँखों से आँसू का धारा प्रवाह खत्म होने का नाम नहीं ले रहा था | प्रेम का झरना सूखने के बाद भी उनकी छाप छोड़ गया है | जिसकी आहे आज भी ह्रदय से निकलती है | प्रेम से आप्लावित हदय संसार प्रत्यक्ष रूप से मिट चुका है, लेकिन आँसू का यह संसार आज भी हदय के भीतर जिंदा है |


२. जीवन बसंत का अक्षय संदेश :- 

            कविता की प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने पूरे जीवन के इतिहास को हमारे सामने प्रतिबिंबित कर दिया है | इनके प्राणों का इतिहास ईश्वर ने आंसूओं की स्याही से लिखा है | यहाँ कवयित्री ने जीवन के यौवनकाल के बसंत को इतिहास चित्रित किया है | हदय के शेष बचे प्राण बिखरे-बिखरे दिखायी देता है, धीरे-धीरे साँसें चलती हैं | जीवन के यौवनकाल में सुख के दिन भी दुःख की छाया से मुक्त नहीं रह पाया | यही जीवन का अविनाशी संदेश सुनायी देता है |


“यहीं है प्राणों का इतिहास 

यहीं बिखरे बसन्त का शेष,

नहीं जो अब आयेगा लौट 

यही उसका अक्षय संदेश |”

              

          प्रकृति की बसंतऋतु का सौंदर्य जाने की तैयारी में हो तब वे बिखरी-बिखरी दिखायी देती है | उसका सुंदर रूप कुछ दिनों का मेहमान लगता है | यह ऋतु फिर लौट आनेवाली नहीं | प्रकृति से अलिप्त हो रही हैं | चाहकर भी रुक नहीं सकती | वही कवयित्री के जीवन काल की बसन्त जाने वाली है | यह बसन्त कभी लौटकर आनेवाली नहीं | बसंत के चले जाने के बाद फिर से लौटकर नहीं आती और उसे पतझड़ ही नसीब होती है | कवयित्री के जीवन की बसन्त चली गई है, वह कभी लौट कर आने वाली नहीं है | यही उसका अविनाश संदेश सुनायी देता है | मनुष्य का जीवन कब इतिहास बन जाये इसका पता नहीं चलता, किन्तु बीता हुआ जीवन कभी लौटकर आता नहीं | उनके पास केवल उनका वर्तमान ही शेष बचता है यानि न आनेवाला कल | 


३. जीवन का सार तत्व :-

                कवयित्री ने काव्य की अंतिम पंक्तियों में जीवन के निष्कर्ष को चित्रित किया है | यह जीवन का सार अनंत एवं अविनाशी प्रियतम की पुकार के रूप में मेरे जीवन का सार है | यह मेरे प्राण-प्रिय अतिथि तुम मेरे पास से क्या ले जाओगे ? मेरे पास आकर तुमने बहुत बड़ी गलती कर दी, क्योंकि मेरे पास से ले जाने के लिए कुछ भी नहीं | तुमने मुझे तड़पा-तड़पा कर सब कुछ ख़तम कर दिया | ये प्राणप्रिय अतिथि मेरे पास मेरी दौलत केवल आँसू है | मेरा पूरा जीवन आंसूओं की वेदी पर सुलगा हैं |


“समाहित है अनन्त आह्वान

यहि मेरे जीवन का सार,

अतिथि ! क्या ले जाओगे साथ 

मुग्ध मेरे आँसू डॉ चार ?” 


            हमारे हदय के भीतर व्यवस्थित किये हुये अनन्त और असिम आँसू का अज्ञ हैं | हम तो मेहमान बनकर आये थे | मेरे पास दो-चार आँसू के सिवा कुछ भी नहीं | क्या तुम उसे साथ लेकर जाओंगे ! इस प्रकार कविता में अपने जीवन प्राण को यही समझाया हैं कि मैं जीवन पर्यंत विरह की पीड़ा, दुख, दर्द और आँसू से लिखित पगदंडी पर चलती रही और आज सुन्दर और भोले आँसू बचे हैं, क्या तुम उसे साथ ले जाओंगे ? 

 

() आंसू कविता का कला-पक्ष :-

           आँसू कविता को काव्य स्वरूप प्रदान करने वाले निम्नलिखित तत्वों का प्रयोग किया है | इसलिए कविता का काव्य शरीर सुगठित हो पाया  है | सृजक अपने भाव के अनुकूल भाषा, शैली, अलंकार, छंद, शब्द-शक्ति, रस प्रतीक, बिम्ब आदि का सफल गुम्फन करता हैं |


१. भाषा-शैली :-

            आंसू कविता में कवयित्री ने अपने जीवन के इतिहास को अंकित करने के लिए साहित्यिक खड़ी-बोली का सहज, सरल एवं देशज शब्दावली से युक्त भाषा को प्रयुक्त किया है | कविता में संस्कृत गर्भित शब्दावली से अनुभूति को सहज ही बोधगम्य बनायी है | आत्मकथात्मक, भावनात्मक और चित्रात्मक शैली के प्रयोग से कविता की सूक्ष्म अनुभूति को प्रत्यक्ष की हैं | 


२. छंद प्रयोग :- 

           आँसू कविता हिंदी के अतुकांत मुक्त छंद में लिखा गीत हैं, लेकिन यह कविता पाठकों का प्यार प्राप्त करने में बहुत ही सफल रही | 

३. शब्द-शक्ति :-

        अभिधा एवं लक्षण शब्द शक्ति के कारण कविता रस युक्त बनी है | प्रकृति के प्रतीक में अभिधा और जीवन के आँसू में व्यंग्य अर्थ निष्पन्न होता हैं |


४. रस योजना :-

       एक छोटी सी कविता भी हदय को काव्य रस से भर देती हैं | इसका अच्छा प्रमाण आँसू कविता हैं | प्रस्तुत कविता में शृंगारा के संयोग और वियोग का सुन्दर वर्णन किया हैं | कवयित्री के जीवन के आँसू को अंकित करते हुये वियोग श्रृंगार परिचय दिया है तो पवन के मुर्झाये फूल को चूमने में संयोग श्रृंगार का सुख दिखाया है | काव्य के अंत में शान्त रस के प्रवाह को बहाया है | हदय की मधुर भावनाओं को प्रसाद एवं माधुर्य गुण के योग से अभिव्यक्ति की हैं | 


५. अलंकार योजना :- 

         अलंकार से काव्य सौंदर्य बढ़ता है, लेकिन काव्य में अलंकार के बोझ से दबनी नहीं चाहिए | इनसे कविता का सहज सौंदर्य दब जाता | आँसू कविता में अलंकार का खास प्रयोग देखने मिलता नहीं | 


(४) निष्कर्ष :-

          कविता के निष्कर्ष के रूप सकते है कि महादेवी वर्मा रचित आँसू कविता बहुत ही कम शब्दों में लिखी गई है, लेकिन इसमें छिपे अनुभूति तीव्रता और गहराई बहुत है | वे संक्षिप्त में बहुत कुछ कहने की क्षमता मिलती हैं | कवयित्री के पुरे जीवन का निष्कर्ष कविता में बता दिया है | उसके पति के सांसरिक प्रेम की यादों से मिले आँसू एवं अलौकिक प्रियतम के विरह में जिंदगी के बहते आँसू की कहानी हैं | जिसमें जीवन का अविनाशी संदेश भेज सुनाया गया है | यही मेरे जीवन की व्यथा-कथा रही है | अपने प्राण प्रिय अतिथि तथा स्वयं प्राण को यह कहा है कि तुम मेरे जीवन से क्या लेकर जाओगे ? मेरा जीवन का इतिहास और वर्तमान आंसूओं से बना हैं | मेरे जीवन से आंसू साथ लेकर जाओगे ? मेरा आंसू ही मेरा सत्य है, मेरा शिव और मेरा सुन्दर है |