+आलोचनात्मक प्रश्न का प्रारूप+
1) रामधारी सिंह ‘दिनकर’ के जीवनवृत्त, व्यक्तित्व एवं कृतित्व का परिचय दीजिए।
2) रामधारी सिंह दिनकर का साहित्यिक परिचय दीजिए।
3) ‘कुरुक्षेत्र’ काव्य की कथावस्तु (कथासार) संक्षेप में लिखिए।
4) ‘कुरुक्षेत्र’ काव्य के भावपक्ष और कलापक्ष की समीक्षा कीजिए।
5) ‘कुरुक्षेत्र’ के काव्य-सौन्दर्य की चर्चा कीजिए।
6) ‘कुरुक्षेत्र’ काव्य में निरूपित समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
7) कुरुक्षेत्र काव्य की मूल समस्या युद्ध की है” इस कथन की समीक्षा कीजिए।
8) ‘कुरुक्षेत्र’ काव्य में कवि के जीवन-दर्शन की समीक्षा कीजिए।
9) खण्डकाव्य के रूप में ‘कुरुक्षेत्र’ की समीक्षा कीजिए।
10) शास्त्रीय दृष्टि से कुरुक्षेत्र किस काव्यरूप के अन्तर्गत आता है, स्पष्ट कीजिए।
11) ‘कुरुक्षेत्र’ काव्य के आधार पर भीष्म पितामह का चरित्र-चित्रण कीजिए।
12) ‘कुरक्षेत्र’ काव्य के आधार पर युधिष्ठिर की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।
13) ‘कुरुक्षेत्र’ का प्रतिपाद्य मानवतावाद है” इस कथन की समीक्षा कीजिए।
14) ‘कुरुक्षेत्र’ के प्रेरणास्रोत पर प्रकाश डालिए।
15) ‘कुरुक्षेत्र’ की भाषा-शैली की चर्चा कीजिए।
+टिप्पणी का प्रारूप+
1. दिनकर के 'कुरुक्षेत्र' काव्य के प्रेरणास्रोत
2. दिनकर के 'कुरुक्षेत्र' के पष्ठ सर्ग का कथ्य।
3. दिनकर के 'कुरुक्षेत्र' में युद्ध-दर्शन ।
4. दिनकर के 'कुरुक्षेत्र' के भीष्म पितामह।
5. कुरुक्षेत्र काव्य की भाषा-शैली।
6. समकालीन जीवन में 'कुरुक्षेत्र' की प्रासंगिकता।
7. विचार प्रधान काव्य के रूप में दिनकर का 'कुरुक्षेत्र'
8. 'कुरुक्षेत्र' काव्य में कर्म का संदेश।
9. 'कुरुक्षेत्र' काव्य में मानवतावाद।
10. 'कुरुक्षेत्र' काव्य के युधिष्ठिर।
11. कुरुक्षेत्र खण्ड काव्य का शीर्षक