Monday, 2 November 2020
ताज कविता में व्यक्त मानवतावादी संदेश
Wednesday, 21 October 2020
जो बीत गई सो बात गई ! कविता का सारांश
नागार्जुन का जीवन परिचय
(१) प्रस्तावना :-
हिन्दी साहित्य में वैधनाथ मिश्र को ‘यात्री’ और ‘नागार्जुन’ के नाम से पहचानते हैं | नागार्जुन ने भिन्न-भिन्न भाषा और साहित्यिक विधाओं में अपनी कलम के दम पर विशेष स्थान प्राप्त किया हैं | उनके काव्य को हम पूरी भारतीय काव्य परंपरा का जीवंत दस्तावेज कह सकते हैं | इनके काव्य में ‘कालिदास’ और ‘विद्यापति’ जैसे कई कालजयी कवियों के रचना संसार के गहन अवगाटन, बौद्ध दर्श, मार्क्सवाद, बहुजनहीताय और परिवेश की समस्याएँ, चिंताएँ और संस्कृति का एतिहासिक दस्तावेज हैं | नागार्जुन का काव्य लोक हदय एवं लोक-संस्कृति की गहरी पहचान से निर्मित काव्य हैं | कवि का यात्रीपन भारतीय जन मानस और विषयवस्तु को समग्र और सच्चें रूप में समजने का साधन हैं | जिसके जरिए अपने हम साध्य तक पहुँच सकते हैं | वे अपनी अभिव्यक्ति के लिए सीधी, सादी और सरल भाषा का नए ढंग से प्रयोग करने में सिधहस्त हैं | हिंदी काव्य साहित्य के सबसे अद्वितीय, मौलिक और बौद्धिक कवि है |
(२) जन्म-जन्म स्थान :-
आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध प्रगतिशील और जनवादी साहित्यकार नागार्जुन का जन्म बिहार राज्य के दरभंगा जिले से जुड़े ‘सतलखा’ स्थान पर ईस्वीसन ११ जून १९११ को हुआ था, लेकिन उनका पैतृक गाँव दरभंगा जिले का ‘तरौनी’ गाँव था | नागार्जुन का वास्तविक नाम ‘वैधनाथ मिश्र’ है तथा अपने बचपन का नाम ‘ठक्कन मिसर’ था | वे हिंदी साहित्य में ‘नागार्जुन’, मैथिली साहित्य में ‘यात्री’, संस्कृत में ‘चाणक्य’ तथा मित्रों एवम् राजनीति में ‘नागाबाबा’ के नाम से विभूषित हैं |
(३) परिवार और बचपन :-
नागार्जुन का जन्म निम्न मध्यम वर्गीय मैथिल ब्रामण परिवार में हुआ था | उनके पिता का नाम ‘गोकुल मिश्र’ तथा माता का नाम ‘उमादेवी’ हैं | माता स्वभाव से सरल हदय, इमानदर, परिश्रमी एवं चरित्रवान महिला थी, लेकिन नागार्जुन चार साल के थे, उसी समय माता उमादेवी का देहान्त हो जाता है | माता के लिए कवि के मन में स्नेह और आदर की भावना विद्यमान रहती हैं | पिता गोकुल मिश्र घुमक्कड़, भंगेड़ी, लापरवाह, रुढ़िवादी दरिद्र, संस्कार हीन, कठोर एवं फक्कड़ की मृत्यु सितम्बर १९४३ में काशी में गंगा किनारे मणिकर्णिका घाट पर होती है | नागार्जुन एक निर्धन कृषक परिवार में पैदा हुए थे | इसलिए बचपन और तरुणावस्था में ही विद्रोही वृतियों के शिकार होते हैं | अपने पिता के प्रति नफ़रत की भावना भी विद्रोही प्रवृति के लिए जिम्मेदार थी | नागार्जुन स्वभाव से चिन्तनशील, आतंरिक दृष्टी से सबल हदय के धनि, सह्द्यी, मिलनसार, अतिशय संवेदनशील व्यक्तित्व के मनुष्य थे | सीधा-सादा जीवन और स्वतंत्रता के चाहक हैं |
(४) शिक्षा :-
नागार्जुन का जीवन ही उनकी शिक्षा-दीक्षा हैं | यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं हैं, क्योंकि बालक नागार्जुन के चाहने के बाद भी रुढ़िवादी पिता गोकुल मिश्र उन्हें अंग्रेजी की प्रारंभिक शिक्षा देना पसंद नहीं करते थे | फिरभी प्रारंभिक पांचवी कक्षा तक उनके गाँव तरौनी में होती हैं | वे पढ़ने-लिखने में बहुत तेज थे, किन्तु उनकी पढाई संस्कृत पाठशाला में होती थी | मध्यम की पढाई पूरी करने के बाद बनारस जाकर राजनीति का ज्ञान प्राप्त करते हैं और ‘साहित्याचार्य’ तथा ‘कवि रत्न’ की उपाधि प्राप्त करते हैं | इसके बाद कभी अंग्रेजी स्कूल या विश्वविद्यालय की पढाई नहीं की, किन्तु जिन्दगी की परीक्षाओं ने नागार्जुन को शिक्षित बना दिया | कवि संस्कृत, हिंदी, पालि, प्राकृत, अपभ्रंश, सिंहली, मैथिली, बिहारी, अंग्रेजी आदि भाषा के ज्ञाता थे |
(५) शादी :-
घुमक्कड़ वृति के धनि और ज्ञान प्रप्तिके जिज्ञासु नागार्जुन की शादी उन्नीस वर्ष की आयु में अठारह वर्षिय ‘अपराजिता देवी’ से होती हैं | अपनी पत्नी के प्रति सदैव सहानुभूति की भावना रखते थे, किन्तु यायावरी जीवन यापन करने वाले कवि को कभी अपनी पत्नी को उचित स्नेह नहीं दे पाये | वे परिवार के भरण-पोषण की चिंता कभी नहीं करते थे | उनकी पत्नी अपराजिता देवी थोड़ी सी पुस्तैनी खेती के सहारे खाने-पीने का प्रबंध करती थी | इनके लिए कहा जाता है कि ऐसे गृहस्थ से तो सन्यासी ही भला | कवि नागार्जुन ईस्वीसन १९३८ से १९४१ ईस्वीसन तक भ्रमण करते है और इसके पश्चात् गृहस्थ जीवन जीने लगते हैं | अत : नागार्जुन अपने घर को कभी अपना स्थिर ठिकाना नहीं बना सके |
(६) व्यवसाय :-
नागार्जुन जीवन विर्वाह की कभी चिंता नहीं करते थे | अपने गृहस्थ जीवन के लिए लेखन, अध्यापन और कृषक का कार्य करते हैं | अपनी निर्धनता के कारण अपने पुत्र-पुत्री को अच्छी शिक्षा भी प्रदान नहीं कर पाये थे |
(७) राजनीतिक जीवन :-
कवि नागार्जुन अपने राजनीतिक जीवन में अनेक राजनीतिक एवं विशिष्ट व्यक्तियों के संपर्क में आते हैं | जिनमें आजाद हिंद सेना नायक सुभाषचन्द्र बोस, जयप्रकाश नारायण, मैथिली कवि पंडित सीतार झा, महारानी लक्ष्मीवती देवी, मदन मोहन मालवीया, गंगाप्रसाद उपाध्याय, स्वामी सहजानंद तथा महात्मा गाँधी प्रमुख हैं | बनारस से उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत होती हैं | ईस्वीसन १९३८ में बिहारी कृषक क्रांति के समय महीने के लिए केन्द्रिय कारागारों में बंदी बनाये गए थे | श्रीलंका में अध्ययन करते समय बौद्ध धर्म से प्रभावित होकर अनुआयी हो जाते है |
(८) प्रिय साहित्यकार :-
महाकवि कालिदास नागार्जुन के सबसे प्रिय कवि है | नोबल पुरस्कार प्राप्त ‘गीतांजलि’ के कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर से भी प्रभावित है | कवि पाश्चात्य सर्जक गोर्की की श्रमिक चेतना से बहुत प्रभावित और आकर्षित होते है | उनके जीवन में ज्ञान और राजनीतिक चेतना जगाने का कार्य हिंदी साहित्य के महापंडित राहुल संकृत्यायन करते है और कवि केदारनाथ अग्रवाल की कविताओं में व्यक्त जन-भावना भी काफी प्रभावित करती हैं | इनके अलावा हिंदी साहित्यकार भारतेन्दु हरिश्चंद्र, मुंशी प्रमचंद, हरिशंकर परसाई, सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’, राजकम चौधरी, काल मार्क्स, लुम्बा, श्रीपाद हाँरो, शैलेन्द्र आदि नागार्जुन के प्रेरक रहे हैं |
(९) पुरस्कार :-
१. नागार्जुन को मैथिली भाषा में रचित ‘पत्र हीन नग्न गाछ’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार |
२. उत्तर प्रदेश हिंदी संसथान-लखनऊ द्वारा कवि को ‘भारत-भारती’ सम्मान |
३. मध्य प्रदेश सरकार की ओर से ‘मैथिलीशरण गुप्त’ सम्मान |
४. पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा ‘राहुल सांकृत्यायन’ सम्मान |
५. साहित्य अकादमी की ‘सर्वोच्च फेलोशिप’ से सम्मानित है |
(१०) मृत्यु :-
हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध जनवादी साहित्यकार नागार्जुन का निधन ५ नवम्बर १९९८ को बिहार के दरभंगा जिले के खाजा सारे में गुरुवार प्रात: ६ बजाकर ३० मिनट पर ८७ वर्ष की आयु में होता हैं |
@कृतित्त्व :-
नागार्जुन संस्कृत, हिंदी और मैथिली भाषा के मूर्धन्य साहित्यकार हैं | उन्होंने साहित्य की गद्य और पद्य दोनों विधाओं में सर्जन करके साहित्य को समृद्ध किया हैं | उसने कविता, कहानी, उपन्यास, निबंध, आलोचना, बाल-साहित्य, अनुवाद तथा संपादन में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई हैं | कवि की प्रारंभिक कविताएँ ‘यात्री’ के नाम से प्रकाशित होती थी, बल्कि सन १९४१ के बाद मित्रों के आग्रह पर ‘नागार्जुन’ के नाम से लिखने लगे थे | यह नाम हिंदी साहित्याकाश में अमर हो गया | नागार्जुन द्वारा मैथिली भाषा में रचित कविता सन १९२९ में लहेरियासराय दरभंगा से प्रकशित ‘मिथिला’ पत्रिका में छपी थी, लेकिन हिंदी भाषा में लिखित प्रथम कविता ‘राम के प्रति’ है | जो सन १९३४ ई. में लाहौर से निकलने वाले साप्ताहिक पत्रिका ‘विश्वबंधु’ में प्रकाशित होती है | कुल मिलाकर नागार्जुन का रचना काल सन १९२९ ई. से आरंभ करके सन १९९७ ई. तक के अड़सठ वर्ष का रहा हैं |
(१) काव्य साहित्य :-
हिंदी प्रबंध काव्य :- (१) ‘भस्मांकुर’-१९७० (खंड-काव्य), (२) ‘भूमिजा’, (३) ‘राम-कथा’ (अपूर्ण)
हिंदी काव्य संग्रह :- (१) युगधारा-१९५३, (२) सतरंगे पंखों वाली-१९५९, (३) प्यासी पथराई आँखें-१९६२, (४) तालाब की मचलियाँ-१९७४, (५) तुमने कहा था-१९८०, (६) खिचड़ी विप्लव देखा हमने-१९८०, (७) हजार-हजार बाँहों वाली-१९८१, (८) पुरानी जूतियों को कोरस-१९८३, (९) रत्नगर्भ-१९८४, (१०) ऐसे भी हम क्या ! ऐसे भी तुम क्या !-१९८५, (११) आखिर ऐसा क्या कह दिया मैंने-१९८६, (१२) इस गुब्बारे की चाय में-१९१०, (१३) भूल जाओ पुराने सपने-१९९४, (१४) अपने खेत में-१९९७
मैथिल काव्य संग्रह :- (१) चित्रा-१९४९, (२) विशाख, (३) पत्रहीन नग्न गाछ-१९६७ |
संस्कृत काव्य :- (१) देश दशंक, (२) श्रमिक दशंक, (३) कृषक दशंक, (४) धर्मलोक शतक |
(२) गद्य साहित्य :-
👉हिंदी उपन्यास :- (१) रतिनाथ की चची-१९४८ (२) गरीबदास-१९९० (१९७९ में लिखित) (३) नयी पौध-१९५३ (४) बाबा बटेसरनाथ-१९५४ (५) वरुण के बेटे-१९५७ (६) दु:ख मोचन-१९५७ (७) कुंभीपाक-१९६० (१९७२ में ‘चंपा’ नाम से भी प्रकाशित) (८) हीरक जयंती-१९६२ (१९७९ में ‘अभिनंदन’ नाम से भी प्रकाशित) (९) जमनिया का बाबा-१९६८ (१९६८ में ही ‘इमरतिया’ नाम से प्रकाशित)
👉मैथिली कथा साहित्य :- (१) पारो-१९४६ (उपन्यास) (२) नव तुरिया-१९५४ (३) बलचनमा-१९५२
👉कहानी साहित्य :- (१) आसमान में चंदा तैरे-१९८२
👉बांगला रचनाएँ :- (१) मैं मिलिट्री का बुढा घोडा-१९९७
👉बाल साहित्य :- (१) कथा मंजरी भाग-१-१९५८ (२) कथा मंजरी भाग-२ (३) मर्यादा पुरुषोत्तम राम-१९ (‘भगवान राम’ और ‘मर्यादा पुरोशोत्तम’ के नाम से प्रकाशित) (४) विद्यापति की कहानियाँ-१९६४ (५) वीर विक्रम (६) प्रेमचंद
👉आलेख संग्रह :- (१) अन्नहीनम्-१९८३ (२) बम्भोलेनाथ-१९८७
👉संस्मरण :- (१) एक व्यक्ति : एक युग-१९६३
👉अनुदित साहित्य :- (१) गुजराती उपन्यास ‘पृथ्वी वल्लभ’ का हिंदी अनुवाद-१९४५ (२) विद्यापति के सौ गीतों का भावानुवाद-१९६५ (३) ‘मेघदूत’ का मुक्त छंद में अनुवाद-१९५३ (४) जयदेव के ‘गीत गोविन्द’ का भावानुवाद-१९४८ (५) विद्यापति की ‘पुरुष परीक्षा’ (संस्कृत) की तेरह कहानियों का भावानुवाद करके ‘विद्यापति की कहानियाँ’ नाम से ई. स. १९६४ में प्रकाशित (६) परणिता
👉संपादन :- (१) ‘वैदेही’ पत्रिका में काशी से ‘वैदेह’ उपनाम से लेखन (२) भारती पत्रिका में काशी से ‘वैदेह’ उपनाम से लेखन (३) कौमी बोली (सिंध) (४) साप्ताहिक ‘विश्व बंधु’ (लाहौर) (५) जोगी (पटना) (६) पंचायती राज (लहरिया सराय) (७) जन युग (दिल्ली) (८) बाल-सखा (९) चुत्रू-मुत्रू |
निष्कर्ष :-
Tuesday, 20 October 2020
मुंशी प्रेमचंद रचित ‘निर्मला’
Monday, 19 October 2020
मुंशी प्रेमचंद का जीवन-कवन
१. मुंशी प्रेमचंद का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?
मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के निकट लमही नामक गांव में हुआ था |
२. मुंशी प्रेमचंद का मूल नाम क्या है ?
मुंशी प्रेमचंद का मूल नाम ‘धनपतराय श्रीवास्तव’ है |
३. मुंशी प्रेमचंद की माँ का नाम क्या है ?
मुंशी प्रेमचंद की माँ का नाम ‘आनंदी देवी’ है |
४. मुंशी प्रेमचंद के पिता का नाम क्या है ?
मुंशी प्रेमचंद के पिता का नाम ‘अजायब राय’ है |
५. मुंशी अजायबराय कौन सी नौकरी करते थे ?
मुंशी अजायबराय लमही गाँव के ड़ाक में मुंशी की नौकरी करते थे |
६. मुंशी प्रेमचंद का शिक्षारंभ किस भाषा से होता है ?
उर्दू और फारसी भाषा में मुंशी प्रेमचंद की शिक्षा शुरू होती है |
७. मुंशी प्रेमचंद ने 13 साल की छोटी उम्र में कौन सी रचना पढ़ी थी ?
मुंशी प्रेमचंद ने 13 साल की छोटी उम्र में ही ‘तिलिस्म-ए-होशरूबा’ रचना पढ़ते हैं |
८. मुंशी प्रेमचंद छोटी उम्र से ही उर्दू के किस उपन्यासकारों से परिचित हो जाते हैं ?
मुंशी प्रेमचंद, रतननाथ ‘शरसार’, मिर्जा हादी रुस्वा और मौलाना शरार आदि उर्दू के उपन्यासकारों से परिचित हो जाते हैं |
९. मुंशी प्रेमचंद सन 1898 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद क्या करते हैं ?
मुंशी प्रेमचंद सन 1898 में मैट्रिक के परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद स्थानीय विद्यालय में शिक्षक के रूप में नियुक्त होते हैं |
१०. मुंशी प्रेमचंद सन 1910 में कौन सी परीक्षा उत्तीर्ण करते है ?
मुंशी प्रेमचंद सन 1910 में अंग्रेजी, दर्शन, फारसी और इतिहास विषय को लेकर इन्टर की परीक्षा उत्तीर्ण करते हैं |
११. मुंशी प्रेमचंद सन 1919 में बी. ए. की परीक्षा उतीर्ण करने के बाद क्या करते है ?
मुंशी प्रेमचंद सन 1919 में बी. ए. की परीक्षा उतीर्ण करने के बाद शिक्षा विभाग के इंस्पेक्टर के पद पर नौकरी करते है |
१२. मुंशी प्रेमचंद की माता-पिता का निधन कब होता है ?
मुंशी प्रेमचंद की सात की छोटी उम्र में माँ और 14 साल की उम्र में पिता का निधन हो जाता हैं |
१३. मुंशी प्रेमचंद का पहली शादी कब होती है ?
मुंशी प्रेमचंद की पहली शादी परंपरा अनुसार 15 साल की छोटी आयु में होती है |
१४. मुंशी प्रेमचंद किससे प्रभावित होकर विधवा विवाह का समर्थन करते है ?
मुंशी प्रेमचंद आर्य समाज से प्रभावित होकर विधवा विवाह का समर्थन करते है |
१५. मुंशी प्रेमचंद का दूसरा विवाह कब और किसके साथ होता है ?
मुंशी प्रेमचंद की दूसरी शादी सन 1906 में अपने प्रगतिशील परंपरा के अनुरूप बाल विधवा शिवरानी देवी से होती है |
१६. मुंशी प्रेमचंद के कितने संतान हैं ?
मुंशी प्रेमचंद के तीन संतान हैं : श्रीपतराय, अमृतराय और कमलादेवी श्रीवास्तव |
१७. मुंशी प्रेमचंद को ‘उपन्यास सम्राट’ उपाधि किसने प्रदान की थी ?
मुंशी प्रेमचंद को उपन्यास सम्राट की उपाधि बंगाल के विख्यात उपन्यासकार ‘शरतचंद्र चट्टोपाध्याय’ प्रदान थी ?
१८. मुंशी प्रेमचंद उर्दू में किस नाम से लिखते थे ?
मुंशी प्रेमचंद उर्दू में नवाबराय के नाम से लिखते थे |
१९. मुंशी प्रेमचंद को ‘कलम के सिपाही’ का सम्मान किसने दिया था ?
मुंशी प्रेमचंद को कलम के सिपाही का सम्मान हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार और अपने पुत्र अमृतराय दिया था |
२०. मुंशी प्रेमचंद का निधन कब हुआ था ?
मुंशी प्रेमचंद का निधन 8 अक्टूबर 1936 में हुआ था ?
२१. मुंशी प्रेमचंद को सन 1910 में हमीरपुर जिला कलेक्टर ने क्यों पकड़ा था ?
मुंशी प्रेमचंद को सन 1910 में हमीरपुर जिला कलेक्टर ने ‘सोजे वतन’ (राष्ट्र का विलाप) कहानी संग्रह में जनता को भड़काने के आरोप लगाकर पकड़ा था |
२२. धनपतराय को प्रेमचंद नाम से लिखने का सुझाव कौन देता है ?
मुंशी प्रेमचंद को धनपतराय से प्रेमचंद के नाम से लिखने का सुझाव उर्दू भाषा में प्रकाशित ‘जमाना’ पत्रिका के संपादक और उनके अजीज दोस्त मुंशी दयानारायण निगम देते है |
२३. मुंशी प्रेमचंद के अपूर्ण उपन्यास कौन पूरा करता है ?
मुंशी प्रेमचंद के अधूरे उपन्यास को उनका पुत्र अमृतराय पूरा करता है |
२४. मुंशी प्रेमचंद के अपूर्ण उपन्यास का नाम क्या है ?
मुंशी प्रेमचंद के अपूर्ण उपन्यास का नाम ‘मंगलसूत्र’ है |
२५. मुंशी प्रेमचंद के साहित्यिक जीवन का आरंभ कब होता है ?
मुंशी प्रेमचंद के साहित्यिक जीवन का आरंभ १९०१ में पर १९१५ में सरस्वती पत्रिका से प्रकाशित ‘सौत’ कहानी के प्रकाशन से होता है |
२६. मुंशी प्रेमचंद की अंतिम कहानी कौन सी है ?
मुंशी प्रेमचंद की अंतिम कहानी सन 1936 में प्रकाशित ‘कफन’ है |
२७. मुंशी प्रेमचंद का आरंभिक लेखन कैसा होता था ?
मुंशी प्रेमचंद का आरंभिक लेखन यथार्थवादी होता था |
२८. मुंशी प्रेमचंद की पहली रचना कौन सी है ?
मुंशी प्रेमचंद के लेख के अनुसार उनकी प्रथम अनुपलब्ध रचना अपने मामा पर लिखा व्यंग्य है |
२९. मुंशी प्रेमचंद का उर्दू में लिखित प्रथम उपन्यास कौन सा है ?
मुंशी प्रेमचंद का उर्दू में लिखित प्रथम उपन्यास ‘असरारे मआबिद’ है |
३०. ‘प्रेमा’ (१९०७) मुंशी प्रेमचंद के किस उपन्यास का अनुवाद है ?
प्रेमा मुंशी प्रेमचंद के उर्दू उपन्यास ‘हमखुर्मा व हम सवाब’ का हिंदी अनुवाद हैं |
३१. मुंशी प्रेमचंद का पहला कहानी संग्रह कौन सा है ?
मुंशी प्रेमचंद का पहला कहानी संग्रह ‘सोजे वतन’ हैं |
३२. ‘सोजे वतन’ कहानी संग्रह में किस प्रकार की कहानियाँ संकलित हैं ?
सन १९०७-१९०८ में प्रकाशित सोजे वतन कहानी संग्रह में देशभक्ति की भावना से भरपूर कहानियाँ संकलित है |
३३. मुंशी प्रेमचंद नाम से लिखित प्रथम कहानी कौन सी है ?
मुंशी प्रेमचंद नाम से लिखित प्रथम कहानी सन 1910 के ‘जमाना’ पत्रिका के अंक में प्रकाशित ‘बड़े घर की बेटी’ है |
३४. मुंशी प्रेमचंद ने सन 1921 में किसके कहने पर अपनी नौकरी छोड़ दी थी ?
मुंशी प्रेमचंद ने महात्मा गांधी के कहने पर अपनी नौकरी छोड़ दी थी |
३५. मुंशी प्रेमचंद कितनी पत्रिकाओं के संपादक रह चुके थे ?
मुंशी प्रेमचंद कुछ महीने के लिए मर्यादा, छ: साल माधुरी और हंस के संपादक रह चुके थे |
३६. मुंशी प्रेमचंद हंस पत्रिका की शुरुआत कब और कहाँ से करते है ?
मुंशी प्रेमचंद हंस पत्रिका की शुरुआत सन 1930 में बनारस से मासिक पत्रिका के रूप में करते है |
३७. मुंशी प्रेमचंद भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ की अध्यक्षता कब और कहाँ करते है ?
मुंशी प्रेमचंद सन 1936 में लखनऊ अधिवेशन के दौरान प्रगतिशील भारतीय लेखक संघ की अध्यक्षता करते है |
३८. मुंशी प्रेमचंद कहानी लेखक के रूप में कहाँ नौकरी करते है ?
मुंशी प्रेमचंद कहानी लेखक के रूप में ‘मोहन दयाराम भवनानी’ की अजंता सिनेटोन कंपनी में नौकरी करते है |
३९. मुंशी प्रेमचंद ने सन 1934 में किस फिल्म की पटकथा लिखी थी ?
मुंशी प्रेमचंद ने सन 1934 में ‘मजदूर’ फिल्म की पटकथा लिखी थी तथा कंपनी के साल भर के कांट्रेक्ट और दो महीन का वेतन छोड़कर बनारस भाग आये थे |
४०. मुंशी प्रेमचंद के हिंदी का पहला उपन्यास कौन-सा है ?
मुंशी प्रेमचंद का सन 1918 में प्रकाशित ‘सेवा सदन’ है |
४१. मुंशी प्रेमचंद कौन कितनी भाषा जानते थे ?
मुंशी प्रेमचंद हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, रूसी और जर्मनी देशी और विदेशी भाषा के जानकार थे |
४२. मुंशी प्रेमचंद के किस उपन्यास को कृषक जीवन का महाकाव्य कहा जाता है ?
मुंशी प्रेमचंद के ‘गोदान’ उपन्यास को कृषक जीवन का महाकाव्य कहा जाता है |
४३. होरी और धनिया किस उपन्यास के पात्र है ?
होरी और धनिया मुंशी प्रेमचंद के गोदान उपन्यास के मुख्य पात्र है |
४४. मुंशी प्रेमचंद का निधन कब और कहां हुआ था ?
मुंशी प्रेमचंद का निधन १९३६ में हुआ था ।
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