Thursday, 12 January 2023

नीहार काव्य संग्रह का परिचय

नीहार - महादेवी वर्मा
नीहार : महादेवी वर्मा

हिंदी काव्य साहित्य की प्रसिद्ध कवयित्री महादेवी वर्मा का पहला काव्य संग्रह ‘नीहार’ है | इन काव्य संग्रह की चयनित दस कविताएँ हमारे पाठ्यक्रम का विषय हैं | इसलिए नीहार का संक्षिप्त परिचय प्राप्त करना अनिवार्य हो जाता है |  

    ‘नीहार’ का सामन्य अर्थ ओस, धुंध, कोहरा, तुषार, हिम आदि होता है | १. हवा में मिली हुई भाप जो रात की सर्दी से जमकर कणों के रूप में गिरती हैं | २. जल का ठोस रूप | ३. वायु में जल के अत्यंत सूक्ष्म कणों के समूह जो ठंडक पाकर जम जाते हैं और धीरे-धीरे भूमि पर उतरते हैं | ४. नीहार एक अर्थ क्रिया के अर्थ में प्रयुक्त होता है | ५. नीहार एक भाव के अर्थ में स्वीकार किया जाता है | अत: यह कह सकते है कि इस काव्य संग्रह की कविताओं में कवयित्री के जीवन के तुषार या हिम कणों से हदय के सुंदर, पीड़ा युक्त और कौतुहल पूर्ण भावों को अभिव्यक्ति मिली हैं | 

    ‘नीहार’ महादेवी वर्मा का प्रथम कविता संग्रह है | इसका प्रथम प्रकाशन प्रयाग से ई. स. १९३० में हुआ था | हिंदी खड़ीबोली के प्रथम महाकाव्य ‘प्रिय प्रवास’ के रचयिता अयोध्यासिंह उपाध्याय ने इनकी भूमिका लिखी है | कवयित्री के इस काव्य संग्रह में ई. स. १९२३ से १९२९ के बीच लिखी गई ४७ कविताएँ संकलित की गई है | इन कविता संग्रह की कविताएँ गीत काव्य रूप में पंक्ति बद्ध हैं | 

    नीहार काव्य संग्रह की विषय-वस्तु के संबंध में स्वयं महादेवी वर्मा का कथन उल्लेखनीय है,“नीहार के रचना काल में मेरी अनुभूतियों में वैसी ही कौतुहल मिश्रित वेदना उमड़ आती थी, जैसे बालक के मन में दूर दिखायी देने वाली अप्राप्य सुनहली उषा और स्पर्श से दूर सजल मेघ के प्रथम दर्शन से उत्पन्न हो जाती हैं |” इस कव्य संग्रह का ताना-बाना  कवयित्री के यौवनावस्था की भावुकता से स्पंदित पीड़ा, वेदना और चिन्तन पथ पर अग्रसर कवयित्री की मानसिक जिज्ञाशा से पूर्ण रचनाएँ हैं | इसमें कवयित्री की प्रकृति के प्रति सजल और प्यारी सी चेतना देखने को मिलती है | निष्कर्ष रूप में यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि नीहार के गीतों में कौतूहल मिश्रित वेदना की स्वाभाविक अभिव्यक्ति हुई है | जिसकी संवेदना की अनुभूति हमें कविता के स्पर्श से मिलती हैं |