Tuesday, 1 October 2024

कुरुक्षेत्र काव्य के अति लघु-उत्तरीय

1. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

उत्तर : रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का जन्म 1908 में बिहार के मुंगेर, जिला के सिमरिया गाँव में हुआ था। (जिला-विभाजन के बाद वर्तमान में सिमरिया गाँव बेगूसराय जिला में है ।)


2. ‘दिनकर’ की पाँच काव्य-कृतियों के नाम लिखिए।

उत्तर : 1. रसवंती, 2. हुँकार, 3 रश्मिरथी, 4. परशुराम की प्रतीक्षा, 5. उर्वशी, 6. कुरुक्षेत्र।


3. ‘दिनकर’ किस धारा के कवि है ?

उत्तर : ‘दिनकर’ जी स्वच्छंदतावादी और राष्ट्रीय काव्यधारा के कवि है। 


4. हिन्दी साहित्य के इतिहास में ‘दिनकर’ किस काल के कवि है? 

उत्तर : रामधारीसिंह ‘दिनकर’ छायावादोत्तर काल के कवि है ।


5. दिनकर के ‘कुरुक्षेत्र’ पर कौन-कौन से चिन्तकों का प्रभाव है?

उत्तर : बर्नाल्ड रसेल, टाल्सटाय, लोकमान्य तिलक, गांधीजी आदि चिन्तकों और भारतीय संस्कृति का प्रभाव है।


6. ‘कुरुक्षेत्र’ काव्य में मूल समस्या क्या है?  

उत्तर : ’कुस्क्षेत्र’ काव्य में मूल युद्ध की समस्या है।


7. माखनलाल चतुर्वेदी ने ‘कुरुक्षेत्र’ को क्या कहा है? 

उत्तर : माखनलाल चतुर्वेदी ने ‘कुरुक्षेत्र’ को “वर्तमान युग की गीता” कहा है।


8. ‘दिनकर’ की दृष्टि में अशांति और संघर्ष के कारण क्या हैं? 

उत्तर : ‘दिनकर’ की दृष्टि में अशांति और संघर्ष के कारण स्वार्थ, विषमता और युद्धलिप्सा हैं |


9. दिनकर ‘कुरुक्षेत्र’ विश्व में किसका दीप जलाने की बात करते हैं?

उत्तर : दिनकर ‘कुरुक्षेत्र’ विश्व में धर्म और दया का दीप जलाने की बात करते है।


10. ‘कुरुक्षेत्र’ काव्य के अनुसार युद्ध कौन करना चाहता है ?

उत्तर : ‘कुरुक्षेत्र’ काव्य के अनुसार पूरा समुदाय कभी युद्ध करना नहीं चाहता, किन्तु व्यक्ति विशेष, जो स्वार्थी और अहंकारी व्यक्ति युद्ध करना चाहते है। 


11. “युद्ध निन्दित और क्रूर कर्म है |” यह कथन किसका है ?

उत्तर : ‘कुरुक्षेत्र’ काव्य में रामधारी सिंह दिनकर का कथन है। 


12. द्रौपदी के पाँच पुत्रों को किसने मार डाला था? 

उत्तर : ‘द्रौपदी’ के पाँच पुत्रों को अश्वत्थामा ने मार डाला था।


13. ‘उत्तरा’ के गर्भ पर किसने आग्नेयास्त्र चलाया था?

उत्तर : ‘उत्तरा’ के गर्भ पर अश्वत्थामा ने आग्नेयास्त्र चलाया था ।


14. ‘महाभारत’ में किसके गर्भ से जन्मा बालक मृत था?

उत्तर : महाभारत में ‘उत्तरा’ के गर्भ से जन्मा बालक (परीक्षित) मृत था | जिसे कृष्ण ने जीवित कर दिया था।


15. रामधारीसिंह ‘दिनकर’ के अनुसार रणभूमि में और इतिहास के अध्याय पर कौन रोता है?

उत्तर : रामधारीसिंह ‘दिनकर’ के अनुसार रणभूमि में और इतिहास के अध्याय पर सत्य और सत्य का पक्षधर रोता है।


16. रामधारीसिंह ‘दिनकर’ को किस काव्य के लिए भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला था? 

उत्तर : रामधारीसिंह ‘दिनकर’ को 'उर्वशी' काव्य के लिए भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला था ।


17. रामधारीसिंह ‘दिनकर’ विश्व में किसकी रश्मि खिलते देखना चाहते हैं?

उत्तर : रामधारीसिंह ‘दिनकर’ विश्व में समता की रश्मि खिलते देखना चाहते हैं।


18. कवि दिनकर ने मनुष्य को सियारों और कुत्तों से भी नीच क्यों कहा है?

उत्तर : कवि दिनकर ने मनुष्य को सियारों और कुत्तों से भी नीच कहा, क्योंकि मनुष्य ज्ञानी होकर भी अत्यंत क्रूर और गंदा काम करता है। 


19. दिनकर ने मनुष्य को किस चीज से सावधान रहने को कहा है?

उत्तर : दिनकर ने मनुष्य को विज्ञान रूपी तलवार से सावधान रहने को कहा है ।


20. महाभारत पर आधारित दिनकर की रचनाओं के नाम बताइए।

उत्तर : महाभारत पर आधारित दिनकर की दो रचना है- ‘कुरुक्षेत्र’ और ‘रश्मिरथी’।


21. ‘कुरुक्षेत्र’ के छट्ठे सर्ग में किसका वर्णन है? 

उत्तर : मानवजीवन में विज्ञान की उपादेयता और उसके घातक चरित्र का वर्णन है ।


22. दिनकर की ‘विनयपत्रिका’ किसे कहा जाता है?

उत्तर : ‘हारे को हरिनाम' रचना को दिनकर की ‘विनयपत्रिका’ है |


23. भीम का वज्रांग और पविकाय नाम क्यों पड़ा? 

उत्तर : एक बार भीम जब नवजात शिशु थे तो माँ की गोद से चट्टान पर गिर गए थे। इससे भीम को कुछ नहीं हुआ, किन्तु वह चट्टान चूर-चूर हो गयी, इसी से भीम का नाम वज्रांग और पविकाय पड़ा।


24. महाभारत के किस पात्र के ललाट पर मणि था ?

उत्तर : महाभारत के अश्वत्थामा के ललाट पर मणि था ।


25. भीष्म के पास कौन जाकर कहता है-"हाय पितामह, महाभारत विफल हुआ।"

उत्तर : भीष्म के पास युधिष्ठिर जाकर कहता है-"हाय ! पितामह, महाभारत विफल हुआ।"।


26. महाभारत युद्ध के बाद किसका कथन है ?- "राजसुख लहू भरी कीचड़ का कमल है।" 

उत्तर : "राजसुख लहू भरी कीचड़ का कमल है।" युधिष्ठिर का कथन है।


27. भीष्म पितामह की दृष्टि में युद्ध का अंतिम परिणाम क्या है? 

उत्तर : भीष्म पितामह की दृष्टि में युद्ध का अन्तिम परिणाम ध्वंस है।


28. भीष्म पितामह युद्ध के उन्माद को कैसा मानते हैं?

उत्तर : भीष्म पितामह युद्ध के उन्माद संक्रामक मानते हैं।


29. भीष्म पितामह ने शूर-वीरों का श्रृंगार किसे कहा है?

उत्तर : भीष्म पितामह ने शूर-वीरों का श्रृंगार क्षमा करने की क्षमता को कहा है।


30. 'युवक' पत्रिका में दिनकर किस छद्म नाम से कविताएँ लिखते थे? 

उत्तर : 'युवक' पत्रिका में दिनकर ‘अमिताभ' और 'आफताब' नाम से कविताएँ लिखते थे ।


31. 'दिनकर' पर पहली समीक्षात्मक पुस्तक कौन-सी और किसकी है?

उत्तर : 'दिनकर' पर पहली समीक्षात्मक पुस्तक डॉ. कामेश्वर शर्मा द्वारा लिखित ‘दिग्भ्रमित राष्ट्रकवि’ है।


32. दिनकर ने मनुष्य को किसका आगार और किसका श्रृंगार कहा है? 

उत्तर : दिनकर ने मनुष्य को ज्ञान का आगार और सृष्टि का श्रृंगार कहा है।


33. दिनकर की ‘चूहे की दिल्ली यात्रा’ रचना किस साहित्य के अन्तर्गत आती है? 

उत्तर : दिनकर की ‘चूहे की दिल्ली यात्रा’ रचना ‘बाल-साहित्य’ के अन्तर्गत आती है ।


34. 'कुरुक्षेत्र' पर सन1949 में दिनकर को कौन सा पुरस्कार मिला था? 

उत्तर : 'कुरुक्षेत्र' पर सन1949 में दिनकर को ‘साहित्य संसद, प्रयाग’ पुरस्कार मिला था ।


35. दिनकर को "द्विवेदी पदक" पुरस्कार किस संस्था द्वारा मिला? 

उत्तर : दिनकर को ‘द्विवेदी पदक’ पुरस्कार ‘नागरी प्रचारिणी सभा, काशी’ द्वारा दो बार मिला था।


36. दिनकर काव्य की तीन विशेषताएँ लिखिए। 

उत्तर : दिनकर काव्य की तीन विशेषताएँ है, प्रेम, राष्ट्रीयता और क्रान्ति-चेतना।


37. ‘जनतंत्र का जन्म’ कविता किसकी है? 

उत्तर : ‘जनतंत्र का जन्म’ कविता रामधारी सिंह दिनकर की है ।


38. दिनकर की दृष्टि में मनुष्य का क्या आगे बढ़ता गया और क्या पीछे छुटता गया? 

उत्तर : दिनकर की दृष्टि में मनुष्य का मस्तिष्क आगे बढ़ता गया और हृदय पीछे छुटता गया।


39. ‘रामधारी सिंह दिनकर रचना-संचयन’ का सम्पादन किसने किया है? 

उत्तर : ‘रामधारी सिंह दिनकर रचना-संचयन’ का सम्पादन डॉ. कुमार विमल ने किया है ।


40. डॉ. कुमार विमल ने दिनकर की कविताओं से किस लोक का अंत माना है? 

उत्तर : डॉ. कुमार विमल ने दिनकर की कविताओं से ‘छायावाद के परीलोक’ का अंत माना है। 


41. भीष्म पितामह के अनुसार मनुष्य अपना सुख कैसे प्राप्त करता है?

उत्तर : भीष्म पितामह के अनुसार मनुष्य अपना सुख अपने भुजबल और उद्यम से प्राप्त करता है ।


42. ‘कुरुक्षेत्र' काव्य में कौन सा सर्ग 'क्षेपक' है? 

उत्तर : ‘कुरुक्षेत्र' काव्य का षष्ठम सर्ग सर्ग 'क्षेपक' है | 

कुरुक्षेत्र काव्य के आलोचनात्मक प्रश्न और टिप्पणी का प्रारूप

+आलोचनात्मक प्रश्न का प्रारूप+

1) रामधारी सिंह ‘दिनकर’ के जीवनवृत्त, व्यक्तित्व एवं कृतित्व का परिचय दीजिए। 


2) रामधारी सिंह दिनकर का साहित्यिक परिचय दीजिए।


3) ‘कुरुक्षेत्र’ काव्य की कथावस्तु (कथासार) संक्षेप में लिखिए।


4) ‘कुरुक्षेत्र’ काव्य के भावपक्ष और कलापक्ष की समीक्षा कीजिए।


5) ‘कुरुक्षेत्र’ के काव्य-सौन्दर्य की चर्चा कीजिए।


6) ‘कुरुक्षेत्र’ काव्य में निरूपित समस्याओं पर प्रकाश डालिए।


7) कुरुक्षेत्र काव्य की मूल समस्या युद्ध की है” इस कथन की समीक्षा कीजिए।


8) ‘कुरुक्षेत्र’ काव्य में कवि के जीवन-दर्शन की समीक्षा कीजिए।


9) खण्डकाव्य के रूप में ‘कुरुक्षेत्र’ की समीक्षा कीजिए।


10) शास्त्रीय दृष्टि से कुरुक्षेत्र किस काव्यरूप के अन्तर्गत आता है, स्पष्ट कीजिए।


11) ‘कुरुक्षेत्र’ काव्य के आधार पर भीष्म पितामह का चरित्र-चित्रण कीजिए।


12) ‘कुरक्षेत्र’ काव्य के आधार पर युधिष्ठिर की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।


13) ‘कुरुक्षेत्र’ का प्रतिपाद्य मानवतावाद है” इस कथन की समीक्षा कीजिए।


14) ‘कुरुक्षेत्र’ के प्रेरणास्रोत पर प्रकाश डालिए।


15) ‘कुरुक्षेत्र’ की भाषा-शैली की चर्चा कीजिए।


+टिप्पणी का प्रारूप+

1. दिनकर के 'कुरुक्षेत्र' काव्य के प्रेरणास्रोत


2. दिनकर के 'कुरुक्षेत्र' के पष्ठ सर्ग का कथ्य।


3. दिनकर के 'कुरुक्षेत्र' में युद्ध-दर्शन ।


4. दिनकर के 'कुरुक्षेत्र' के भीष्म पितामह।


5. कुरुक्षेत्र काव्य की भाषा-शैली।


6. समकालीन जीवन में 'कुरुक्षेत्र' की प्रासंगिकता।


7. विचार प्रधान काव्य के रूप में दिनकर का 'कुरुक्षेत्र'


8. 'कुरुक्षेत्र' काव्य में कर्म का संदेश।


9. 'कुरुक्षेत्र' काव्य में मानवतावाद।


10. 'कुरुक्षेत्र' काव्य के युधिष्ठिर।


11. कुरुक्षेत्र खण्ड काव्य का शीर्षक


कुरुक्षेत्र काव्य से सन्दर्भ पंक्तियाँ

कुरुक्षेत्र काव्य की संदर्भ पंक्तियाँ
प्रथम सर्ग

(1) "वह कौन रोता है वहाँ-

इतिहास के अध्याय पर,

जिसमें लिखा है, नौजवानों के लहू का मोल है

प्रत्यय किसी बूढ़े, कुटिल नीतिज्ञ के व्यवहार का;

 जिसका हृदय उत्तना मलिन जितना कि शीर्ष वलक्ष है;

जो आप तो लड़ता नहीं,

कटवा किशोरों को मगर

आश्वस्त होकर सोचता,

शोणित बहा, लेकिन गयी बच लाज सारे देश की ?”

(रामधारी सिंह 'दिनकर'-कुरूक्षेत्र-पेपर बैक, पृष्ठ-5)


(2) “विश्व मानव के हृदय निर्देष में

मूल हो सकता नहीं दोहाग्नि का;

चाहता लड़ना नहीं समुदाय है,

फैलती लपटें विषैली व्यक्तियों की साँस से।“

(रामधारी सिंह 'दिनकर'-कुरूक्षेत्र-पेपर बैक, पृष्ठ-06)


(3) "लड़ना उसे पड़ता मगर।

औ' जीतने के बाद भी,

रणभूमि में वह देखता है सत्य को रोता हुआ,

वह सत्य, है जो रो रहा इतिहास के अध्याय में

विजयी पुरुष के नाम पर कीचड़ नयन का डालता।"

(रामधारी सिंह 'दिनकर'-कुरूक्षेत्र-पेपर बैक, पृष्ठ-06)


(4) लेकिन, मनुज के प्राण शायद, पत्थरों के हैं बने।

इस दंश का दुख भूलकर

होता समर आरुढ़ फिर;

फिर मारता, मरता,

विजय पाकर बहाता अश्रु है।"

(रामधारी सिंह 'दिनकर'-कुरूक्षेत्र-पेपर बैक, पृष्ठ-07)


द्वितीय सर्ग

(5) "बद्ध, विदलित और साधनहीन को

है उचित अवलम्ब अपनी राह का,

गिड़गिडाकर किन्तु, मांगे भीख क्यों

वह पुरुप जिसकी भुजा में शक्ति हो।"

(रामधारी सिंह 'दिनकर'-कुरूक्षेत्र-पेपर बैक, पृष्ठ-19)


(6) "व्यक्ति का है धर्म, तप, करुणा, क्षमा,

व्यक्ति की शोभा विनय भी, त्याग भी,

किन्तु, उठता प्रश्न जब समुदाय का, भूलना पड़ता हमें तप त्याग को।"

(रामधारी सिंह 'दिनकर'-कुरूक्षेत्र-पेपर बैक, पृष्ठ-19)


(7) "कौन केवल आत्मबल से जूझकर

जीत सकता देह का व्यापार है?

पाशविकता खड़ग जब लेती उठा,

आत्मवल का एक वश चलता नहीं।"

(रामधारी सिंह 'दिनकर'-कुरूक्षेत्र-पेपर बैक, पृष्ठ-21)


तृतीय सर्ग

(8) "शान्ति नहीं तबतक, जबतक

सुख-भाग न नर का सम हो,

नहीं किसी को बहुत अधिक हो,

नहीं किसी को कम हो।"

(रामधारी सिंह 'दिनकर'-कुरूक्षेत्र-पेपर बैक, पृष्ठ-25)


(9) "हिंसा का आघात तपस्या ने

कब, कहाँ सहा है?

देवों का दल सदा दानवों

से हारता रहा है।"

(रामधारी सिंह 'दिनकर'-कुरूक्षेत्र-पेपर बैक, पृष्ठ-27)


(10) "क्षमा सोभती उस भुजंग को,

जिसके पास गरल रल हो।

उसको क्या, जो दन्तहीन, विषरहित,

विनीत, सरल हो।"

(रामधारी सिंह 'दिनकर'-कुरूक्षेत्र-पेपर बैक, पृष्ठ-28)


(11) "भूल रहे हो धर्मराज, तुम,

अभी हिंस्र भूतल है,

खड़ा चतुर्दिक अहंकार है,

खड़ा चतुर्दिक छल है।"

(रामधारी सिंह 'दिनकर'-कुरूक्षेत्र-पेपर बैक, पृष्ठ-32)


(12) "जियें मनुज किस भाँति परस्पर

होकर भाई-भाई,

कैसे रुके प्रदाह क्रोध का,

कैसे रुके लड़ाई।"

(रामधारी सिंह 'दिनकर'-कुरूक्षेत्र-पेपर बैक, पृष्ठ-32)


चतुर्थ सर्ग

(13) "मगर, यह शान्तिप्रियता रोकती केवल मनुज को,

नहीं वह रोक पाती है दुराचारी दनुज को।

दनुज क्या शिष्ट मानव को कभी पहचानता है?

विनय को नीति कायर की सदा वह मानता है।"

(रामधारी सिंह 'दिनकर'-कुरूक्षेत्र-पेपर बैक, पृष्ठ-38)


(14) "ज्यों-ज्यों साड़ी विवश द्रौपदी

की खिंचती जाती थी,

त्यों-त्यों वह आवृत,

दुरग्नि यह नग्न हुई जाती थी।"

(रामधारी सिंह 'दिनकर'-कुरूक्षेत्र-पेपर बैक, पृष्ठ-45)


(15) "धर्मराज, अपने कोमल

भावों की कर अवहेला।

लगता है, मैंने भी जग को

रण की ओर ढकेला।"

(रामधारी सिंह 'दिनकर'-कुरूक्षेत्र-पेपर बैक, पृष्ठ-56)


पंचम सर्ग

(16) "मनु का पुत्र बने पशु भोजन! मानव का यह अंत!

भरत-भूमि के नर-वीरों की यह दुर्गति, हा हन्त!"

(रामधारी सिंह 'दिनकर'-कुरूक्षेत्र-पेपर बैक, पृष्ठ-66)


(17) "विभव, तेज, सौन्दर्य, गये सब दुर्योधन के साथ,

एक शुष्क कंकाल लगा है मुझ पापी के हाथ।"

(रामधारी सिंह 'दिनकर'-कुरूक्षेत्र-पेपर बैक, पृष्ठ-67)


षष्ठ सर्ग

(18) "धर्म का दीपक दया का दीप,

कब जलेगा, कब जलेगा, विश्व में भगवान?

कब सुकोमल ज्योति से अभिसिक्त

हो, सरस होंगे जली-सूखी रसा के प्राण ?”

(रामधारी सिंह 'दिनकर'-कुरूक्षेत्र-पेपर बैक, पृ०-77)


(19) “किन्तु, है बढ़ता गया मस्तिष्क ही निःशेष,

छूटकर पीछे गया है रह हृदय का देश,

नर मनाता नित्य नूतन बुद्धि का त्योहार,

प्राण में करते दुखी हो देवता चीत्कार |”

(रामधारी सिंह 'दिनकर'-कुरूक्षेत्र-पेपर बैक, पृष्ठ-78)


(20) “सावधान मनुष्य, यदि विज्ञान है तलवार,

तो इसे दे फेंक तज कर मोह, स्मृति के पार।

हो चुका है सिद्ध, है तू शिशु अभी नादान,

फूल-काँटों की तुझे कुछ भी नहीं पहचान।

खेल सकता तू नहीं ले हाथ में तलवार,

काट लेगा अंग, तीखी है बड़ी यह धार।“

(रामधारी सिंह 'दिनकर'-कुरूक्षेत्र-पेपर बैक, पृष्ठ-83)


सप्तम सर्ग

(21) “सबको मुक्त प्रकाश चाहिए,

सबको मुक्त समीरण,

बाधा-रहित विकास, मुक्त

आशंकाओं से जीवन।“

(रामधारी सिंह 'दिनकर'-कुरूक्षेत्र-पेपर बैक, पृष्ठ-9०)


(22) “ब्रह्मा से कुछ लिखा भाग्य में

मनुज नहीं लाया है,

अपना सुख उसने

अपने भुजबल से ही पाया है।“

(रामधारी सिंह 'दिनकर'-कुरूक्षेत्र-पेपर बैक, पृष्ठ-93)