Thursday, 21 March 2024

मुहावरे और उनके अर्थ वाक्य प्रयोग

मुहावरे और उनके अर्थ वाक्य प्रयोग

साधारणतः मुहावरे का अर्थ है 'अभ्यास' । यह अरबी भाषा का शब्द है, किन्तु अब हिन्दी भाषा में एक पारिभाषिक शब्द के रूप में प्रयुक्त होता है । इसका असली रूप है मुहाविरा | संसार की पायः सभी भाषाओं में इस प्रकार के शब्द-समूहों का इस्तमाल किया जाता है; जैसे कि अंग्रेजी में 'Idioms' और गुजराती में 'रूढी प्रयोग' । ठीक इसी प्रकार हिन्दी में इन्हें 'मुहावरें' कहते हैं । मुहावरे का अर्थ होता है-"वह वाक्यांश जिसका साधारण शब्दार्थ न लेकर कोई विशेष अर्थ ग्रहण किया जाय ।" मुहाविरे वाक्यांश होते है और इनका प्रयोग स्वतंत्र रूप से नहीं होता, वाक्यों के मध्य में ही इनका प्रयोग होता है ।

मुहावरों से भाषा में सजीवता और रोचकता आ जाती है । मुहावरेदार भाषा सरल, मधुर और हृदय पर शीघ्र ही प्रभाव डालने वाली होती है । मुहावरेदार भाषा में कही हुई बात में जो विलक्षणता और प्रवाह होता है, वह अन्यत्र नहीं।

मुहावरों के समुचित प्रयोग से भाषा को सुंदरता का और कलात्मकता अधिक मात्रा में बढ़ जाती है; इतना ही नहीं, भाषा शक्तिशाली, सामर्थ्यवान और समृद्ध भी बन जाती |

सीधी-सादी भाषा की तुलना में मुहावरेदार भाषा अधिक मार्मिक, अर्थपूर्ण और जानदार होती होती है । साथ-साथ भावों की अभिव्यक्ति भी कलात्मक रूप लेती है और बात कहने का ढंग आकर्षक बन जाता है ।

मुहावरों के प्रयोग से किसी सीधी-सादी बात को या सीधे-सादे कथनों को विशिष्ट ढंग से अभिव्यक्त किया जाता है । इसलिए मुहावरों का वाक्यप्रयोग करते समय, उनके सूचित होनेवाले अर्थ को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए । कुछेक उदाहरणों के द्वारा मुहावरें को समझाने का प्रयत्न करेगें |


(१) 'भ्रष्टाचारी कर्मचारी बिना रुपये खाये कोई काम नहीं करते |’ यहाँ ‘रुपये खाना' एक मुहावरा है; जिसका अर्थ, सचमुच रुपयों का भोजन करना नहीं, बल्कि रिश्वत लेकर ही काम करना है ।

(3) 'राष्ट्र की सुरक्षा के लिए भारतीय सैनिक सरहद पर छाती फाड़कर लड़ते हैं।' यहाँ 'छाती फाड़कर' एक मुहावरा है; जिसका अर्थ, सचमुच अपनी छाती को फाड़कर या चिरकर लड़ना नहीं, बक्ति शक्ति से अधिक काम करना है ।

(३) 'महान जादूगर के. लाल का करिश्मा देखकर दर्शकों ने दाँतों तले अंगुली दबा ली ।' यहाँ 'दाँतों तले अंगुली दबाना' एक मुहावरा है; जिसका अर्थ, सचमुच अपनी अंगुली को दांतों तले दबा देने की शारीरिक क्रिया करना नहीं, बल्कि आश्चर्यचकित हो जाना है ।


मुहावरें का अर्थ और वाक्यप्रयोग



(१) अंगूठा दिखा देना-इंकार करना ।


वाक्य प्रयोग : मैं सदैव विनोद की सहायता करता रहा हूँ, किन्तु जब मुझे उसकी सहायता की आवश्यकता पड़ी तो उसने अंगूठा दिखा दिया।


(२) आंच न आना-आपत्ति से बच जाना ।


वाक्य प्रयोग : भ्रष्टाचार के मामले में अनेक अधिकारी पकड़े गए, किन्तु थानेदार पर कोई आंच नहीं आयी ।


(३) आड़े हाथों लेना-खरी खोटी सुनाना ।


वाक्य प्रयोग : विनोद रवि की साईकल बिना पूँछे ले गया, जब वह वापस लौटकर आया तो रवि ने उसे आड़े हाथ लिया।


(४) औंधी खोपड़ी का होना-मूर्ख होना |


वाक्य प्रयोग : तुम कैसी औंधी खोपड़ी के लड़के हो, जरा सी बात तुम्हारी समझ में नहीं आती |


(५) अंधे की लकड़ी-एक मात्र आश्रय |


वाक्य प्रयोग : श्रवण कुमार तो बुड्ढे माँ-बाप की अंधे की लकड़ी था । उसके मर जाने पर वे कैसे जीवित रहते ?


(६) अपना उल्लू सीधा करना-स्वार्थ साधना ।


वाक्य प्रयोग : नेतागण तो चुनाव के समय अपना उल्लू सीधा कर लेते हैं, बाद में जनता के दुख-सुख से उन्हें कोई मतलब नहीं ।


(७) अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना-अपनी प्रशंसा स्वयं करना । 

वाक्य प्रयोग : रहने दीजिए, अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना उचित नहीं ।


(८) अपने पैर आप कुल्हाड़ी मारना-अपनी हानि आप करना ।


वाक्य प्रयोग : सरकार ने पाकिस्तान बनाकर अपने पैरों में आप कुल्हाड़ी मारी है ।


(9) आँखें खुलना-ज्ञान प्राप्त होना ।


वाक्य प्रयोग : तिब्बत को अधिकार में लेने के बाद जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया तब भारत सरकार की आँखें खुलीं ।


(१०) आँच न आने देना-हानि न होने देना ।


वाक्य प्रयोग : लहनासिंह ने सूबेदारिनी से कहा, "आप निश्चिन्त रहिए, जीते जी मैं बोधा पर आँच न आने दूँगा | 


(११) आकाश से बातें करना-अत्यंत ऊँचा होना ।


वाक्य प्रयोग : दिल्ली में कुतुबमीनार आज भी आकाश से बातें करती खड़ी है।


(१२) अंगार उगलना-जली कटी सुनाना ।


वाक्य प्रयोग : आज खैर नहीं है, श्रीमतीजी सुबह से ही अंगार उगल रही हैं ।


(१३) आँखों का तारा-परमप्रिय व्यक्ति ।


वाक्य प्रयोग : राम तो राजा दशरथ की आँखों के द्वारा था ।


(१४) आँखों में खून उत्तरना-बहुत अधिक क्रोध या रोष होना ।


वाक्य प्रयोग : उसकी पाशविकता देखकर मेरी आँखों में खून उतर आया ।


(१५) आस्तीन का साँप-वह व्यक्ति जो मित्र बनकर धोखा दे । 


वाक्य प्रयोग : रमेश से बचकर रहना, वह तो आस्तीन का साँप है। 


(१६) ईद का चाँद-बहुत कठिनाई के बाद किसी के दर्शन होना ।


वाक्य प्रयोग : शशि उषा के यहाँ महीनों बाद पहुँची तो उषा ने कहा अहो भाग्य ! आप तो ईद का चाँद हो गई हैं।


(१७) ओखली में सिर देना-कष्ट सहने को तैयार होना ।


वाक्य प्रयोग : अब तो ओखली में सिर ही दिया हैं, भय किस बात का ।


(१८) काला अक्षर भैंस बराबर-निरक्षर होना ।


वाक्य प्रयोग : भारत की तीस प्रतिशत जनता के लिए आज भी काला अक्षर भैंस बराबर है ।


(१९) कान का कच्चा होना-ऐसा व्यक्ति जो बहुत सहज में या सूनते ही किसी बात पर विश्वास कर लें।


वाक्य प्रयोग : कान के कच्चे अधिकारियों से न्याय की आशा क्या की जाय ?


(२०) खिचड़ी पकाना-सबसे अलग होकर रहना ।


वाक्य प्रयोग : विजय सदा अपनी ही खिचड़ी पकाया करता है।


(२१) गंगा नहाना-काम पूरा कर डालना ।


वाक्य प्रयोग : भाई साहब ने अपनी लड़की का विवाह कर दिया; ये तो गंगा नहा लिये।


(२२) गुड गोबर होना-काम खराब करना ।


वाक्य प्रयोग : पार्टी बहुत अच्छी चल रही थी, किन्तु चाय खराब हो जाने से सारा गुड़ गोवर हो गया। ।


(२३) गुदडी का लाल-गरीबी में दिन काटकर गुणवान होना |


वाक्य प्रयोग : लाल बहादुर शास्त्री वास्तव में गुदड़ी के लाल थे।


(२४) घाट-घाट का पानी पीना-अनुभवी होना।


वाक्य प्रयोग : विजय ने घाट-घाट का पानी पिया है, उसे मूर्ख बनाना आसान नहीं।


(२५) घोड़े बेचकर सोना-निश्चित होकर सोना ।


वाक्य प्रयोग : आज परीक्षा समाप्त हो गयी, अब वह ऐसा सो रहा है जैसे घोड़े बेचकर सोया हो ।


(२६) चैन की बंशी बजाना-आनन्द से रहना ।


वाक्य प्रयोग : सिंह के मर जाने से जंगल के अन्य पशु चैन की बंशी बजाने लगे ।


(२७) चौपट करना-नष्ट करना ।


वाक्य प्रयोग : उसकी जरा सी असावधानी ने सारा किया कराया चौपट कर दिया ।


(२८) छक्के छुड़ाना-हैरान करना ।


वाक्य प्रयोग : महारानी लक्ष्मीबाई ने प्रथम स्वाधीनता संग्राम में अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिये थे।


(२९) छाती पर साँप लोटना-ईर्ष्या से जलना ।


वाक्य प्रयोग : विनोद की पदोन्नति का समाचार पाकर उसके साथियों की छाती पर साँप लोटने लगा ।


(३०) जोहर दिखाना-अपनी विशेषताएँ दिखलाना ।


वाक्य प्रयोग : स्वतंत्र भारत में नवयुवकों को अपने जोहर दिखाने का अवसर मिला है।


(३१) जान हथेली पर रखना-मृत्यु की चिन्ता न करना ।


वाक्य प्रयोग : पर्वतारोहियों का दल जान हथेली पर रखकर एवरेस्ट की विजय के लिए निकल पड़ा था। 


(३२) झक मारना-विवश होना, समय बरबाद करना ।


वाक्य प्रयोग : सूर्पणखा ने लक्ष्मण से कहा, "अभी में सीधे-सीधे कह रही हूँ, नहीं बाद में तो तुम्हें झक मारकर मेरी बात माननी पड़ेगी ।"


(३३) टीमटाम करना-दिखावटी शान शौकत करना ।


वाक्य प्रयोग : थोड़ा सा भी धन हो जाने पर लोग टीमटाम करना शुरू कर देते हैं।


(३४) ठिकाने लगाना-समाप्त कर डालना ।


वाक्य प्रयोग : मैं आपके एक-एक विरोधी को ठिकाने लगा दूंगा, आप चिन्ता न करें ।


(३५) डकार जाना-किसी का धन या माल लेकर पचा जाना ।


वाक्य प्रयोग : महेश अपने पिता की जमीन डकार जाना चाहते थे।


(३६) दबे पाँव निकल जाना -चुपचाप चले जाना । 

वाक्य प्रयोग : इधर पिताजी की नींद लगी, उधर रवि दबे पाँव घर से निकल गया।


(३७) दाँत खट्टे करना-बुरी तरह से परास्त करना ।


वाक्य प्रयोग : भारत की हाकी टीम ने अच्छी-अच्छी टीमों के दांत खट्टे कर दिये थे ।


(३८) धाक जमाना रंग जमाना, प्रभाव डालना ।


वाक्य प्रयोग : अपने क्षेत्र में थानेदार ने ऐसी धाक जमाई है कि कहीं कोई अपराध नहीं होता ।


(३९) नमक खाना-आश्रित होना, सहारा देना ।


वाक्य प्रयोग : सेठजी, मैंने आपका नमक खाया है, मैं आपके साथ विश्वासघात कभी नहीं कर सकता ।


(४०) पीठ दिखाना-युद्ध से भागना |


वाक्य प्रयोग : युद्ध से पीठ दिखाकर भागने से तो लड़ते-लड़ते मर जाना अच्छा है।


(४१) पौ बारह होना-लाभ होना ।


वाक्य प्रयोग : नए संचालक के आ जाने से कुछ लोगों के पौ बारह हो जायेंगे ।


(४२) पांचों उंगली घी में होना-पूरे लाभ में होना ।


वाक्य प्रयोग : आजकाल नेताओं की पाँचों उँगलियाँ घी में होती हैं।


(४३) बैग-बाग होना-बहुत अधिक प्रसन्न होना ।


वाक्य प्रयोग : मित्र के आने का समाचार पाकर उसकी तबियत बाग बाग हो गई


(४४) भीगी बिल्ली होना-डर या आशंका से दुबकना ।


वाक्य प्रयोग : प्रिसिपल साहब का विद्यालय में बड़ा आतंक है। बड़े से बड़ा दादा भी उन्हें देखकर भीगी बिल्ली बन जाता है |


(४५) मक्खी मारना-बेकार रहना ।


वाक्य प्रयोग : घर पर बैठे क्या मक्खी मारा करते हो, थोड़ा घूमा-फिरा करो |


(४६) माथा ठनकना-पहले से ही किसी दुर्घटना या बाधा होने की आशंका होना ।


वाक्य प्रयोग : मंथरा की बात सुनकर कैकेयी का माथा ठनका।


(४७) लकीर पीटना-पुरानी परंपराओं को अपनाना ।


वाक्य प्रयोग : बुद्धि से काम तो लकीर पीटना बुद्धिमानों का काम नहीं ।


(४८) लोहे के चने चबाना-लगभग असंभव कार्य करना ।


वाक्य प्रयोग : एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ना लोहे के चने चबाना है।


(४९) हाथ धो बैठना-खो देना ।


वाक्य प्रयोग : तुम्हारी मजाक में मैं तो पुस्तक से ही हाथ धो बैठा।


(५०) हाथ के तोते उड़ना-स्तब्ध होना।


वाक्य प्रयोग : हिटलर की निरंतर विजय से मित्र राष्ट्रों के हाथों के तोते उड़ गए थे।