रसखान
1) 'रसखान' किस काल के कवि है ?
- भक्तिकाल
2) ‘रसखान’ किस धारा सर्जक है ?
- कृष्ण काव्यधारा
3) ‘रसखान’ का वास्तविक नाम क्या है ?
- सैयद इब्राहिम
4) 'रसखान' का जन्म स्थान -
- हरदोई ज़िला-पिहानी ग्राम
5) रसखान का परिवार कहां का रहने वाला था ?
- दिल्ली
6) ‘रसखान’ किस परंपरा में पैदा हुए थे ?
- पठान सरदार परिवार
7) रसखान का संबंध किस कुल परंपराओं से रहा है ?
- बादशाहों की कुल परंपरा
8) डॉ. नगेंद्र ने मतभेदों एवम् अटकलों के आधार पर रसखान का जन्म समय कौन-सा माना है ?
- इस्वीसन 1533
9) “छिनही बादसा–बंसकी ठसकछोरि रसखान” पंक्ति रसखान का संबंध किस से जोड़ती है ?
- बादशाहों की कुल परंपरा से
10) “तोरि मानिनी तें हियो फोरि मोहिनी मान, प्रेमदेव की छबिहिं लखी, भए मियां रसखान |" प्रस्तुत पंक्ति रसखान की विरक्ति के कारणों में किसकी ओर संकेत करती है ?
- किसी महिला
11) जनश्रुति के आधार पर रसखान अपने जीवन में किस पर आशक्त थे ?
- साहूकार के छोरे पर
12) रसखान किसके कहने पर वल्लभ संप्रदाय में दीक्षित होते हैं ?
- गोस्वामी विट्ठलनाथ
13) भारतेंदु हरिश्चंद्र ने रसखान को कृष्ण भक्ति से लक्ष्य करके क्या कहा था ?
- इन मुसलमान हरिजन पर कोटिक हिंदू वारिए |
14) रसखान के समकालीन किसको माना जाता है ?
- गोस्वामी तुलसीदास
15) तुलसीदास 'रामचरित मानस' सर्वप्रथम किसको सुनाते है ?
- रसखान
16) रसखान की भाषा -
- साहित्यिक ब्रजभाषा
17) डॉ. बच्चनसिंह रसखान के साहित्य के बारे में क्या कहते है ?
- रसखान के बारे में कहा है, "बृज की धरती, पशु-पक्षी, वन-बाग़ आदि के प्रति रसखान जैसा प्रेम सूर्य के अतिरिक्त और किसी में नहीं मिलता”
18) रसखान का काव्य किसी संप्रदाय से मतलब से ना जुड़कर कर किस प्रकार की पहचान रखता है ?
- स्वच्छंद मन के सहज उद्गार का काव्य की पहचान रखता है |
19) रसखान ने निम्न पंक्तियों में किसका वर्णन किया है ?
"धूरि भरे अति सोभित स्याम जू, वैसी बनी सिर सुन्दर चोटी ।
खेलत खात फिरै अँगना पग, काग के भाग बड़े पैंजनि बाजति पीरी कछोटी ।
वा छवि को रसखानि विलोकति, वारत काम कलानिधि कोटी ।
कागके भाग बड़ेसजनी, हरिहाथ सों ले गयौ माखन रोटी ।"
- कृष्ण के बाल रूप का वर्णन
20) दीक्षा ग्रहण करने के बाद रसखान कहां बस जाते हैं ?
- गोवर्धन धाम
21) किस रचना के प्रमाण के आधार पर गोस्वामी तुलसीदास ने रसखान को सर्वप्रथम 'रामचरित मानस' का पाठ सुनाते हैं ? येसा कहा जाता है ?
- मूल गोसाईं चरित
22) रसखान की अंतिम कृति कौन सी है ?
- प्रेम वाटिका
23) 'प्रेम वाटिका' रचना का रचनाकाल कौन सा माना जाता है ?
- इस्वीसन 1618
24) प्रमुख रूप से रसखान की कितनी कृतियाँ उपलब्ध होती है ?
- प्रेम वाटिका और दानलीला
25) 'प्रेम वाटिका' और 'दानलीला' दोनों रचनाओं का कौन-सा संकलन वर्तमान में सर्वाधिक प्रचलित है ?
- सुजान रसखान
26) 'सुजान रसखान' किस प्रकार की रचना है ?
स्फुट छंदों का संग्रह | जिनमें 181 सवैया, 17 कवित, 12 दोहे और 4 सोरठे संकलित है |
27) रसखान की कौन सी रचना में कृष्ण के प्रातः जागरण एवं रात्रि शयन पर्यंत की दिनचर्या एवं क्रीडाओं का वर्णन है ?
- अष्टयाम
28) 'रसखान' ने राधा-कृष्ण के संवाद के रुप में 11 दोहों की एक छोटी-सी रचना की है ?
- दानलीला
29) 'प्रेम वाटिका' में किसका वर्णन किया है ?
- रसखान ने प्रेम वाटिका में 53 दोहों में प्रेम के गुण तत्व का सूक्ष्म निरूपण किया है |
30) रसखान काव्य की संक्षिप्त विशेषताएँ :
- रसखान एक सशक्त भक्त कवि ।
- बृजभाषा के मर्मज्ञ ।
- शुद्ध साहित्यिक और परिमार्जित ब्रज भाषा के प्रयोक्ता |
- कृष्ण के रूप पर मुग्ध और गोपियों की मन:स्थिति का मनोरम वर्णन ।
- कृष्ण के बाल सौंदर्य का सुंदर चित्रण ।
- रसखान काव्य के प्रमुख रस श्रृंगार और वात्सल्य है ।
- कवित, सवैया एवं दोहे उनके छंद है ।
- उनका प्रेम वर्णन स्वच्छंद प्रेम का अंकन करता है ।
- मधुर और प्रसाद गुण से युक्त कविता ।
- लौकिक और अलौकिक प्रेम का चित्रण |
31) “मानुसहौ तो वहै रसखानि बसौ गोकुल गाँवके ग्वारन”– रसखान ने उपर्युक्त पंक्ति में किसके प्रति अपना अनुराग प्रकट किया है ?
- ब्रजभूमि
32) रसखान द्वारा कृष्ण के रूप मनोहर का चित्रण करने वाली काव्य पंक्ति : “या लकुटी अरु कामरिया पर राज तिहूँपुर को तजि डारौ ।"
(अर्थात् रसखान को कृष्ण की लकुटि और कामरिया इतनी प्यारी लगती है कि वे तीनों लोक का राज्य त्यागने को तत्पर हो जाते है)
33) रसखान के दो प्रसिद्ध सवैयों की पंक्तियां :
(1) मोर पखा सिर ऊपर राखि हौं, गुंज की माल गरे पहिरौंगीं ।
(2) सेस महेस गनेस दिनेस, सुरेसहु जाहि निरन्तर ध्यावैं ।
(3) धूरि भरे अति सोभित स्यामजू, वैसी बनी सिर सुंदर चोटी ।
34) किस ग्रंथ में रसखान को वल्लभ संप्रदाय के अनुयाई बताया गया है ?
- दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता
35) किस काव्य पंक्ति के अनुसार माना जाता है कि गोस्वामी तुलसीदास ने रसखान को सर्वप्रथम रामचरित मानस की कथा सुनाई थी ?
- “जमुना तटपै त्रयवत्सरलौ, रसखानहिं जाईसुनावत भौ”
36) गदर के समय रसखान की आयु कितनी मानी जाती है ?
- बीस बाईस वर्ष
37) रसखान का देहावसान लगभग कब माना जाता है ?
- ईस्वीसन 1618
38) इस्वीसन १९५५ में कल्याण के संतवाणी अंक में रसखान की कौन सी कृति का प्रकाशन हुआ ?
- अष्टयाम
39) रसखान की प्रमुख रूप से कितनी और कौन-कौन सी कृतियां प्रमाणि मानी जाती है ?
- प्रमुख चार : 'सुजान रसखान', 'प्रेम वाटिका', 'दानलीला', 'अष्टयाम'
40) रसखान द्वारा रचित केवल 11 छंदों का 'पद्य-प्रबंध' कौन सा है ?
- अष्टयाम
41) रसखान स्वयं को कब कृतकृत्य समझते थे ?
- कृष्ण की अनंत अलौकिक रस की लीला गान का आस्वादन करने में स्वयं को कृतकृत्य समझते थे |
(“त्यों रसखानि वही रसखाननि जूरसखानि,सोहै रसखानि”)
42) रसखान भागवत का किस भाषा में अनुवाद पढ़ते है ?
- फारसी
43) भागवत का फारसी भाषा में अनुवाद पढ़ने के बाद रसखान किस भाषा के अध्ययन की ओर मुड़ते हैं ?
- बृज-भाषा
44) रसखान का झुकाव किस ओर ज्यादा था ?
- ज्ञान से अधिक प्रेम की ओर
45) 'प्रेम वाटिका' में रसखान किसके संबंध में अपने व्यक्त विचार किए हैं ?
- प्रेम
46) रसखान की कविताओं में किसका एकाकार देखने को मिलता है ?
- लौकीक एवम् ईश्वरीय प्रेम का एकाकार
47) "प्रेम–प्रेम सब कोउ कहत, प्रेम न जानत कोय ।
जो जन जानै प्रेम, तो मरै जगत क्यों रोय ?
कमल–तन्तु सों छीन अरू, कठिन खड्ग की धार ।
सूधो, टेढ़ो बहुरि, प्रेम–पन्थ अनियार ।
डरै सदा चाहै न कछु, सबै सबै जो होय ।
रहै एकरस चाहि कै, प्रेम बखानो सोय ॥
प्रेम हरी को रूप है, त्यों हरि प्रेम–स्वरूप ।
एक होई द्वै यों लसैं, ज्यों सूरज अरू धूप ।। - रसखान के किस काव्य संग्रह की पंक्ति है ?
- प्रेम वाटिका
48) रसखान की भक्ति का कैसा वर्णन मिलता है ?
- तात्विक और प्रेम दृष्टि से परिपूर्ण
49) रसखान के तात्विक और प्रेम पूर्ण भक्ति का परिचय देने वाली काव्य पंक्ति :
- “ब्रम्हा मैं ढूंढ्यौ पुरानन–गानन, वेद–रिचा सुनि चौगुने चायन ।
देख्यो सुन्यो कबहूँ न कितूं, वह कैसे सरूप औ कैसे सुभायन ।
टेरत – हेरत हारि परयो, ‘रसखान' बंतायो न लोग लुगायन ।
देखो बुरो वह कुज्ज–कुटीर में, बैठो पलोटत राधिका–पायन ।
50) गोकुल गांव के प्रति रसखान अपना अनुराग प्रकट किया है
"मानुष हौं तो वही ‘रसखान'
बसौं ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन,
जो पशु हौं तौ कहा बस मेरो
चरौं नित नन्द की धेनु मँझारन,
पाहन हौं तो वही गिरि को
जो धन्यो कर छत्र पुरन्दर कारन
जो खग हौं तो बसेरो करौं
मिलि कालिंदी कूल कदम्ब की डारन ।"
51) प्रस्तुत पंक्तियों में विश्वास, श्रद्धा की भावना और हिंदू धर्म की मर्यादा का पालन किया है -
“वैद की औषधि खाइ कछु न करै कछु संजम री सुनि मोसे।
तो जल-पान कियो 'रसखान', सजीवनि जानि लियो जग तोसे।
एरी, सुधामयी भागीरथी, सब पथ्य कुपथ्य बने तुहि पोसे।
आक धतूर चबात फिरै, विष खात फिरै, शिव तेरे भरौसे।
52) (१) "एरी, आजु काल्जिह सब लोक–लाज त्यागि दोऊ
सीखे हैं सबै विधि स्नेह सरसाइबो,
यह ‘रसखान' दिन द्वै में बात फैलि जैहै
कहाँ लौं सयानी चन्द हाथन छिपाइबो,
आजु हौं निहारयो बीर निपट कलिंदी तीर
दोउन को दोउन सों मुरि मुसि काइबो,
दोऊ परैं पैयां, दोऊ लेत हैं बलैयाँ
इन्हें भूलि गई गैयां, उन्हें गागर उठाइबो ।
(२) धुरि भरे अति शोभित स्याम जू वैसी बनी सिर सुन्दर चोटी |
खेलत ख़त फिरै अंगना पग पैंजनि बाजति पीरी कछोटी ||
या छवि को रसखानि विलोकत वारत काम कलानिधि कोटि ||
काग के भाग बड़े सजनी हरि हाथ सों लै गयो माखन रोटी ||